Sunday, November 05, 2017

तुम्हारे दीदार से मुक़म्मल होती थी वो कवितायेँ 
जो आज कल अधूरी-अधूरी ही ख़त्म हो जाती हैं.

Happy Birthday

साल दर साल 
वक़्त चुपके से आकर 
अपने हँसिया से 
काट जाता है 
उम्र का एक और साल; 
और पीछे छोड़ जाता है
सर-कटा नंगा सा ठूँठ|

हम चुनेंगे कठिन रस्ते, हम लड़ेंगे

हम चुनेंगे कठिन रस्ते जो भरे हो कंकड़ों और पत्थरों से  चिलचिलाती धूप जिनपर नोचेगी देह को  नींव में जिसके नुकीले काँटे बिछे हो  हम लड़ेंगे युद्...